
4 महीनों में भगवान विष्णु योग निद्रा में रहते हैं
देवशयनी एकादशी, हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को कहा जाता है। यह त्योहार हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है और भगवान विष्णु की विशेष पूजा का दिन होता है। यह एकादशी देवउठनी एकादशी के पश्चात् होती है और चातुर्मास्य व्रत की शुरुआत का संकेत माना जाता है। पुराणों के अनुसार इन 4 महीनों में भगवान विष्णु योग निद्रा में रहते हैं। इसके बाद कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी पर भगवान विष्णु की योग निद्रा पूर्ण होती है। Devshayani-Ekadashi-Shukl-pakcha-lord-vishnu-yog-nidra एकादशी शुक्ल पक्ष


देवशयनी एकादशी को “शयनी” के कारण भी जाना जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु सोने के लिए शयन करते हैं और उनकी व्रत आराधना इसी कारण से की जाती है। इस दिन भक्त विष्णु भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं, व्रत रखते हैं, मंदिरों में जाते हैं और विष्णु सहस्त्रनाम, भजन और कथा सुनते हैं।

देवशयनी एकादशी को मनाने से मान्यता है कि भगवान विष्णु सभी पापों का नाश करते हैं और भक्तों को मोक्ष प्रदान करते हैं। यह दिन भक्ति और धर्म की महत्त्वपूर्ण अवसर होता है और लोग इसे उत्साह और भक्ति के साथ मनाते हैं।
देवशयनी एकादशी, हिन्दू पंचांग में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को कहा जाता है। यह तिथि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ती है, जो भारतीय हिन्दू कैलेंडर के अनुसार वर्ष के जुलाई-अगस्त माह के बीच आता है। देवशयनी एकादशी को भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने का दिन माना जाता है।

देवशयनी एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को सुबह जल स्नान करना चाहिए और फिर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। उसके बाद व्रती को सात्विक आहार का पालन करना चाहिए और पूरे दिन भगवान विष्णु के भजन, कीर्तन और पाठ करने चाहिए।

देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन को चतुर्मास की शुरुआत माना जाता है। चतुर्मास एक महीनों का व्रत होता है जो भगवान विष्णु को समर्पित होता है। देवशयनी एकादशी से चतुर्मास की अवधि शुरू होती है और कर्तिक पूर्णिमा तक चलती है। इस अवधि में हिन्दू व्रत, पूजा और धार्मिक कर्मों को ध्यानपूर्वक अपनाते हैं और धार्मिक अचरण में विशेष आत्मीयता रखते हैं।
Devshayani Ekadashi Shukl pakcha
देवशयनी एकादशी व्रत करने से मान्यता है कि यह व्रत करने वाले को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और उनकी आशीर्वाद से सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।