

इस तस्वीर को मैंने बहुत से घरों की दीवालों पर बड़े ही सुंदर भाव में देखा है और यह भी सत्य है कि हमारे आराध्य प्रभू श्रीराम और माता जानकी के साथ श्रीलखनलाल जी वास्तविक रूप में भी इस तस्वीर से कुछ अलग नहीं दिखते होंगे | आदिपुरुष ramayan ka apman
हमारे यहाँ के गाँव और कस्बों में लगने वाले मेलों की दुकानों पर जब कोई सियाराम की तस्वीर मांगता है तो दुकानदार भी बेहिचक यही तस्वीर सामने वाले को हाजिर कर देता है | मजे की बात तो यह भी खरीददार भी कोई च्वाइस न रखते हुवे इस तस्वीर को बड़े ही भक्ति भाव से ले लेता है |
अब बात यहाँ पर बस इतनी सी है कि हमारे लिए यह कोई खरीददारी का विषय ही नही है कि जिसमे किसी अन्य तरीके की तस्वीर के लिए अपने मन मे कोई विकल्प रखें क्योंकि जब भी हम इस तस्वीर को देखते है हमारे मनहृदय की भावनाओं में प्रेम,पवित्रता और निर्मलता का ऐसा संगीत बजता है जिसे हम शब्दों में बयां नही कर सकते |

‘ओल्ड इज गोल्ड’ ऐसे ही नही कहा जाता , इसके पीछे सदैव व्यक्ति की मूल भावनाए जुड़ी होती है | इस मूल भावना में इतनी सादगी और पवित्रता होती है कि जिसे किसी भी माध्यम से व्यक्त नहीं किया जा सकता फिर चाहे वो कोई फिल्म,सीरियल या कुछ और भी क्यों न हो | पर जब मूल भावनाओं के साथ ही छेड़ छाड़ हो जाए तो इसका पुरजोर विरोध होना स्वाभाविक है |
रामायण के महानायक प्रभु श्रीराम भारतीय जनमानस की चेतना का आधार है जीवन के विभिन्न परिस्थितियों में मनुष्य को किस प्रकार से आचरण करना चाहिए इसके लिए वाल्मीकि रामायण एक आदर्श ग्रंथ है
तदुपरांत श्रीराम के जीवन को आधार बनाकर अनेकों रामायण की रचना हुई | हिंदी में महाकवि तुलसीदास ने रामचरितमानस जैसे आदित्य महाकाव्य की भी रचना की

एक लंबे अरसे से सोए हुए भारतीय जनमानस में सनातन धर्म की चेतना का सकारात्मक संचार करने के लिए रामानंद सागर जी ने सन 1980 के दशक में रामायण टीवी श्रृंखला का निर्माण किया | तत्कालिक समय या वर्तमान में रामानंद सागर कृत रामायण की लोकप्रियता क्या रही और क्या है यह बताने की आवश्यकता भी नहीं | तुलसीदास जी के इतने बाद वर्तमान समय में प्रत्येक भारतीय के किरदार में राम नाम की जो भक्ति रामानंद सागर जी के माध्यम से जागृत हुई वह अतुलनीय और अद्भुत है |
अब जब विषय इतना बृहद और विशेष होकर प्रत्येक व्यक्ति के हृदयतल के मूल भावना से जुड़ा हुआ हो तो इसपे कुछ बोलने लिखने और कुछ बनाने के संदर्भ में बहुत ही सघन अध्ययन और जानकारी का होना अतिआवश्यक है |
यह भी है सत्य है कि बाजारवाद के इस माहौल में धार्मिकता और राष्ट्रीयता खूब धड़ल्ले से बिक रही है और बेचने वाला भी बखूबी जानता है कि लोगों को क्या खरीदने में दिलचस्पी है | अब फैसला हमारे हाथ मे है कि हम अपने बुद्धि बल और विवेक का इस्तेमाल किस प्रकार करते हैं |
सियाराम #आदिपुरुष की पूरी टीम को सद्बुद्धि प्रदान करें |